कोई बसाने की कोशिश कर रहा है |
कोई बसाने की कोशिश कर रहा है |
तो कोई उजाड़ने को बेचैन है |
कोई खूँटे गाड़ रहा है |
तो कोई गडे मुर्दे उखाड़ने मे लगा है |
किसी को बसने से ,किसी के मन में उजड़ने की चिंता कौन फैला रहा है |
ये सड़कों पर सरेआम आग कौन लगा रहा है |
क्या उन्हें भरोसा नहीं रहा खुदा पर
हर बात में धर्म की दुहाई देनेवाले
क्यों आज धर्म को ठुकरा रहा है |
कुछ लोग यह भी नहीं जानते
गीत के बोल क्या हैं
वो भी सुर में सुर मिला रहे हैं |
सत्ता की ललक में ,सत्य को जमींदोज करना चाहते हैं
क्यों खून के प्यासे ये आज हुए हैं
या यही इनकी फितरत है
जिससे वाकिफ हम आज हुए हैं |
जब इनकी फितरत ढ़ँकी हुई थी
उन चादरों से ,जिसपर इन्होंने खुदा के नाम छपा रखे हैं
कितनी मीठी जुबान बोलते थे
कौन कह सकता है ,इन्होंने दिल में आग जला रखे हैं |
जब इनपर पड़ती है तो खुदा की दुहाई देते हैं
दूसरों की जब जान लेते ,सबकुछ भूला देते हैं
बस इन्हें याद रहता है तो बस इनका नाम
अपने सिवा और कौन जगत में है आवाम
जब ये दौड़ते हैं चिंगारी लिए सड़कों पर
विध्वंश के नारे लगाते हुए ,डंडे चलाते हुए
तब इन्हें ख्याल नहीं आता कि
किसी का घर जल जाएगा ,
किसी की जान चली जाएगी
जब चलते हैं शासन के डंड़े
तब इन्हें ईमान ,धरम और विधान याद आता है
दूसरों की जान अंजान नजर आती हैं
kranti news with Krishna Tawakya Singh