कुंडली में ये योग होने से जातक निर्धन होता है:-
आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) छतरपुर मध्यप्रदेश,

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यदि सूर्य तथा चन्द्र साथ हो और नीच ग्रह से दृष्ट हो।
यदि सूर्य तथा चन्द्र साथ हो और पाप नवमांश में स्थित हो।
यदि रात्रि के जन्म में क्षीण चन्द्र लग्न से अष्टम स्थान में स्थित हो तथा पाप ग्रह से युत/दृष्ट हो।
चन्द्र भी राहु आदि से तथा पाप ग्रह से भी पीड़ित हो;
लग्न से चारो केन्द्रों में केवल पाप ग्रह हो।
चन्द्र से चारो केन्द्रों में केवल पाप ग्रह हो।
चन्द्र केन्द्र अथवा कोण में स्थित हो;परन्तु नीच/शत्रु के क्षेत्र में हो और चन्द्र से 6,8,12 गुरु हो।
चन्द्र यदि चर राशि में हो,पाप ग्रह के नवांश में स्थि t हो,शत्रु ग्रह से दृष्ट हो अथवा चर नवांश में स्थित हो और गुरु की द्रष्टि से रहित हो।
चन्द्र लग्न है:-
अतः धन का द्योतक है।जब जब चन्द्र निर्बल होगा,चाहे वह पाप युति से,पाप द्रष्टि से,चन्द्र से केन्द्र में पाप ग्रहों की स्थिति से,पाप तथा शत्रु नवांश में स्थिति से या सूर्य के सानिध्य से,नीच ग्रह की द्रष्टि से शुभ द्रष्टि से वर्जित होनेके कारण हो तभी धन हानि,दरिद्रता का योग बनायेगा।यही हाल लग्न का भी है।लग्न से जब केन्द्र में केवल पाप ग्रह हो तो लग्न निर्बल हो जाता है।और लग्न चूंकि धन है उसकी निर्बलता दरिद्र बनाती है।