क्षत्रिय देश के रक्षक एवं महान् देशभक्त थे । इस समाचार के छठे भाग यहां से पढ़िए—–+


kranti news gaziabad, ब्यूरो प्रमुख कवि अनिरुद्ध कुमार सिंह के द्वारा……
गाजियाबाद ( उ.प.) क्षत्रिय विरोधी लेखक- पत्रकारों के द्वारा श्री राम जी के उपर दूसरा गंभीर आरोप लगाते हैं कि श्री राम शुद्र जातियों के खिलाफ गलत- गलत वचन बोले थे, इसलिए शुद्र समाज श्री राम जी को भगवान नहीं मानते हैं । उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस में से दोहा और चौपाई को लिखकर एवं पढ़कर बताते हैं कि श्री राम जी ने शुद्र समाज के खिलाफ बहुत हीं अप्रिय वचन बोले थे ।ऐसी स्थिति में शुद्र समाज के लोग श्री राम को कैसे भगवान मान सकते हैं?.
कवि अनिरुद्ध कुमार सिंह— भगवान श्रीराम के द्वारा जिस वचन को श्री रामचरितमानस में लिखा गया था,वह अप्रिय वचन उन्होंने कभी भी नहीं कहा था ।ये वचन श्री राम के नहीं थे– पूजहिं विप्र गुण शील हीना, शुद्र न पूजहिं गुण- ज्ञान परवीना । ढोल गंवार शुद्र पशु नारी,ये सब है ताड़ना के अधिकारी ।ये सब बातें श्री राम जी ने नहीं बोले थे ।इन सभी बातों को रावण के समरथकों ने श्री राम जी के प्रति नफरत की भावना को फ़ैलाने के लिए षड्यंत्र रचकर श्री रामचरितमानस में जोड दिए हैं ,जिससे शुद्र समाज के लोग क्षत्रिय से नफ़रत करने लगे । जबकि श्री राम ने सबको गले लगाये हैं । अतः श्रीराम शुद्र विरोधी नहीं थे ।
सच्चाई तो यह है कि श्री राम ने शवरी प्रसंग में कहा था कि- गुण रहित नर सोहहिं कैसे, बिना जल वारिद देखहि जैसे ।जात पांत नहीं मान विधाता,मानहूं एक भक्ति के नाता । निर्मल मन जन सो मोहि पावा,मोंही न छल कपट हिय भावा । आप विचार कीजिए कि इतने सुन्दर वचन कहने वाले श्री राम भला शुद्र को अप्रिय वचन क्यों कह सकते थे? जिन्होंने स्वयं अज्ञात जाति की सीता से शादी किए और माता शवरी की झूठे वैर को खाये,भला वैसे महामानव शुद्र जाति के खिलाफ सपने में भी अप्रिय वचन नहीं बोल सकते हैं । इसलिए क्षत्रिय विरोधी लेखक- पत्रकार से मेरा अनुरोध है कि श्री राम जी पर टिप्पणी करने से पहले अपने कमजोरी को उजागर करें,न कि श्री राम जी के संबंध में मनमाने आरोप लगाते रहें । अगर आप मनमानी आरोप श्री राम के उपर से लगाना बंद नहीं करेंगे तो हमें भी जैसे को तैसे लिखने आते हैं । परंतु मैं श्री राम जी के भक्त हूं , इसलिए मर्यादा को ध्यान में रखते हुए आपके प्रश्नों का उत्तर दिया हूं और आगे भी देता रहूंगा । इस अंक के सातवां भाग बाद में पढ़िए —————————————- जय, जय, जय श्री राम