डॉ भीमराव अंबेडकर बौद्ध धर्म को नहीं मानते थे ।

(कवि अनिरुद्ध कुमार सिंह के द्वारा )……………………………… आप सभी यह जानते हैं कि डॉ भीमराव अम्बेडकर बौद्ध धर्म को मानते थे । किंतु ऐसी बात नहीं है क्योंकि वे बौद्ध धर्म को बिल्कुल भी नहीं मानते थे । डॉ भीमराव अम्बेडकर जातिवादी सोच के साधारण ब्यक्ति थे । वे जात-पात के कट्टर समर्थक थे । इसलिए वे जाति पर आधारित आरक्षण की व्यवस्था भारतीय संविधान में शामिल किए थे । जबकि भगवान गौतम बुद्ध जातिवादी सोच के मानव नहीं थे । वे सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय के समर्थक थे । वे जाति प्रथा के कट्टर विरोधी थे । वे सबको एक नजर से देखते थे। अर्थात वे मानव को जाति के नजर से नहीं देखते थे । । ….. डॉ भीमराव अम्बेडकर माया-मोह में फंसे हुए थे । वे सिर्फ नारी से आसक्त रहते थे । वे कबीर पंथी महिला( जो ब्राह्मण नहीं थी)लक्ष्मी कबीर से शादी किए थे । लक्ष्मी कबीर एक नर्स थी, जिससे भीमराव अम्बेडकर ने कोर्ट मैरिज किए थे । लक्ष्मी कबीर को संविता अंवेदकर के नाम से भी जानी जाती थीं । भगवान गौतम बुद्ध नारी से विरक्त होकर घर से निकल गये थे । वे दूसरी शादी नहीं किए थे , जबकि भीमराव अम्बेडकर दूसरी शादी करके गौतम बुद्ध के अनुयायी होने का गौरव खो दिए ।तीसरी बात यह है कि भगवान गौतम बुद्ध अपने समय में किसी के साथ पक्षपात नहीं किए थे । वे श्री राम जी के पदचिन्हों पर चलकर कभी भी उनके बिरोध में नहीं बोले थे । वे हिन्दू धर्म के सिद्धांतों को प्रचार किए थे, जबकि डॉ भीमराव अम्बेडकर हिंदू धर्म के बिरोधी थे ।उनका यह कहना कि हिंदू धर्म में मुझे जन्म लेना मजबूरी थी, पंरतु मैं बौद्ध धर्म ग्रहण करके मरूंगा । लेकिन उनका यह बात बिल्कुल ग़लत था क्योंकि वे बौद्ध धर्म को मानते नहीं थे । वे हिन्दू धर्म के जाति वाली व्यवस्था के समर्थक थे । वे मनुस्मृति के कट्टर समर्थक थे । इसलिए वे बौद्ध धर्म के अनुयायी नहीं माने जाते हैं ।